मित्रों ! हमारी महत्ता तो तब हो, जब कोई कुछ बुरा बोलने की हिम्मत ही न कर सके संस्कृत के बारे में... और इसके लिए हमें संगठित होना होगा, योजनाएँ बनानी होंगी | क्या आपको पता है 14 से 25 आयु वर्ग के युवाओं की संख्या कितनी है भारत में ? लगभग 27 करोड़.... जी ... और उस युवा वर्ग को दिशा दे रहे हैं तथाकथित उपदेशक/ Motivational Speakers ... वे लोग कच्ची मिट्टी के उन युवाओं को जो चाहें बना दें... और ऐसा क्यों होता है क्योंकि संस्कृत वाला कोई छात्रों को समसामयिक ज्ञान समसामयिक उद्धरणों से युक्त उपदेश नहीं देता ... अथवा संस्कृत के किसी युवा में ऐसा Confidence/आत्मविश्वास ही नहीं कि वो अपने आप को Star/Celebrity बना लेवे... और किसी इक्के दुक्के ने ऐसा प्रयास भी करना चाहा तो बस... उसकी टांग खीचकर नीचे...
संघे शक्तिः कलौ युगे ... ये हमारे संस्कृत का वाक्य है किन्तु इसको Implement किया अन्य लोगों ने... आज जो कोई भी प्रसिद्ध होकर स्थिर है या Market में बना हुआ है, निश्चित रूप से उसके साथ एक संगठन है एक समूह है... और मैंने इसे मुम्बई में बहुत करीब से महसूस किया... क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि Facebook Twitter Instagram पर Blue Mark वाले Celebrity, Pure संस्कृत Field के हों... Sanskrit Actor.. Sanskrit Actress... Sanskrit Singer... Sanskrit Musician... Sanskrit Influencer... Sanskrit Youtuber Sanskrit Director... Sanskrit Politician... Sanskrit Author... Sanskrit Educationist... Sanskrit Producer... Sanskrit Filmmaker... Sanskrit Cricketer... Sanskrit Businessman... Sanskrit Composer... Sanskrit Lyricist... Sanskrit Engineer... Sanskrit Doctor... Sanskrit Poet... Sanskrit Scientist... Sanskrit Player... Sanskrit Chef... Sanskrit Comedian... Sanskrit IAS.. Sanskrit IPS... Sanskrit Beurocrat... और भी न जाने कितने प्रकार के Celebrities होते हैं, और यदि उस ऊँचाई से संस्कृत का पक्ष रखा जाएगा तो समझ लिजिए कि जन जन तक संस्कृत सरलता से पहुँच जाएगी...
आज सोशल मीडिया इतना सही और सटीक माध्यम है अपनी बात पहुँचाने के लिए कि ऐसा और कोई सशक्त माध्यम नहीं.... और 27 करोड़ के उस युवा वर्ग को यदि संस्कृत के प्रति आकर्षित करना है तो हमें संघटित होकर इसका उपयोग एवं प्रयोग करना होगा, आपको बस इतना ही करना है कि जो संस्कृत में तथा उपरोक्त आधुनिक विद्या में दक्ष हो उसे प्रमोट करना है, इसमें ध्यान रखने वाली बात यह होगी कि हम मिलकर ऐसे अधिटतम पाँच लोगों का चुनाव करें जो इस संस्कृत फील्ड तथा उपरोक्त एक आधुनिक विद्या में दक्ष हो उसे प्रमोट करें... प्रमोशन कैसे करना है वह सब परामर्श के बाद विधिवत सूचित किया जाएगा |
मित्रों ! संगठित होने के लिए मैनेजमेंट अत्यन्त आवश्यक होता है... यदि फेसबुक की ही बात की जाय तो यहाँ कई Facebook Group काम कर रहे हैं संस्कृत के लिए... सभी का उद्देश्य और लक्ष्य समान है.. तथापि एक ही सामग्री को कई जगह बार बार देख कर पिष्टपेशणता हो जाती है.. जिस तरह से बड़े बड़े संघटनों में संस्थाओं में अलग अलग कार्य के लिए अलग अलग विंग/विभाग होते हैं, क्या यहाँ भी वैसा ही विभागीकरण क्यों नहीं कर दिया जाता, जैसे कि सम्भाषण संस्कृत के लिए फलां ग्रुप सुनिश्चित... संस्कृत कविता के लिए फलां ग्रुप सुनिश्चित आदि... और जो व्यक्ति तत्सम्बद्ध जानकारी लेना या देना चाहे, वह उसी ग्रुप में.. साथ ही प्रत्येक सुनिश्चित ग्रुप को सभी संस्कृतानुरागी Follow करेंगे... इससे होगा यह कि मात्र 20/25 ग्रुप को Follow करने मात्र से आपके पास संस्कृत की तमाम जानकारी उपलब्ध हो जाएगी... संस्कृत समाचार जानने का मन हुआ उस ग्रुप में चले गये... संस्कृत गीत सुनने का मन हुआ उस ग्रुप में चले गये... बहुत ही सुन्दर, सुव्यस्थित, सुसंगठित, समग्रतापूर्ण, सुगम, और सहज प्रक्रम होगा यह |
मित्रों ! जो लोग संस्कृत की बुराई करते हैं हम उनका मुँह केवल एक ही प्रकार से बन्द कर सकते हैं... और वो है संस्कृत वाङ्मय की समग्र वैज्ञानिकता को प्रदर्शित करना... और ये होगा कैसे ... एक उपाय है.. हमें एक Application का निर्माण करना होगा.. संस्कृत वाङ्मय एप्लिकेशन... इसमें Informative/सूचनात्मक रूप से समग्र संस्कृत वाङ्मय के मूल / Routes का निरन्तरता/क्रमिकता/सातत्यता के साथ सूचनात्मक वर्णन होगा .... वेदों से लेते हुए आज तक के जितने वाङ्मय प्रभेद हैं, उन सबकी क्रमिक Information उस एप में हो तथा उसमें निहित Search Option में यदि कोई आधुनिक छात्र Plastic Surgery Search करे तो उसे उन तमाम वेदों/शास्त्रों/ग्रन्थों/अध्यायों/श्लोकों का Reference मिल जाए कि आपको यहाँ यहाँ यह विषय मिलेगा... और सामान्यतया उस एप्लिकेशन को पूरा देख लेने या चला लेने के उपरान्त पूरा का पूरा संस्कृत वाङ्मय उस छात्र के दिमाग में घूमने लगे... केवल इतना ही नहीं इससे प्रत्येक शास्त्र का बेसिक ज्ञान छात्र को या अन्य सामाजिकों को स्पष्ट हो जाएगा और उसके उपरान्त एक सामान्य मानवी भी विधर्मी लोगों को सतर्क और सप्रमाण उत्तर देने में सक्षम हो पाएगा...
अन्त में मैं संस्कृत युवाओं से विशेष रूप से कहना चाहूँगा कि संगठित हो जाईये, तैयार हो जाईये, आने वाला समय आपका ही है..... जयतु संस्कृतं .... जयतु भारतम् ....
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